
शिक्षकों को तबादले के लिए इस बार भी जाना पड़ेगा विधायको के पास
- न आवेदन, न नीति, न नियम, बस विधायक की सूची में हो नाम
- विधायकों का भी तबादलों के लिए कोटा तय
- एक विधायक दे सकेगा तबादले के लिए 70 नाम
- शिक्षा विभाग तबादलों की तैयारी में लगा हुआ है
- शिक्षा मंत्री के मूड पर काफी कुछ निर्भर करेंगे शिक्षक तबादले
अभिषेक आचार्य
RNE Special.
राज्य में भाजपा की सरकार बने अब तो एक साल से अधिक हो गया। सभी विभागों को अपने अधीन के कर्मचारियों के तबादले करने का अवसर दो बार मिल गया। शिक्षा विभाग को अब तक एक बार भी तबादले करने की छूट नहीं मिली है। शिक्षा सत्र के बीच में तबादले करने से व्यवस्था बिगड़ती इस कारण तबादलों पर से प्रतिबंध हटाया ही नहीं गया।
अब शिक्षा सत्र 1 जुलाई से फिर शुरू हो रहा है। लगभग 15 दिन ही बचे है जिनमें शिक्षकों के तबादले हो सकेंगे। राज्य में सबसे ज्यादा कर्मचारी शिक्षा विभाग में ही है तो जाहिर है इसमें तबादले भी बड़ी संख्या में होने तय है।
इस बार भी क्या कैम्प लगेगा ?
शिक्षा विभाग में अक्सर कैम्प लगाकर ही तबादलों के आदेश एक जगह तैयार किये जाते है और फिर सूचियां एक साथ ही जारी होती है। प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की टीमें कैम्प स्थल पर जाती है और वहीं बैठकर तबादला आदेश तैयार करके जारी करती है। लगता है इस बार भी यही प्रक्रिया अपनाई जायेगी। उसके बिना तो एक साथ इतने तबादले सम्भव ही नहीं प्रतीत होते।
विधायकों का है इस बार दबाव:
सत्तारूढ़ भाजपा के विधायकों का शिक्षक तबादलों के लिए ज्यादा दबाव है, क्योंकि उनको उनके क्षेत्र के कार्यकर्ता दबाव देते है। क्योंकि पिछले शासन में अलग सरकार थी, जिसने जानबूझकर कुछ शिक्षकों को उनके गृह जिले से बाहर भेजा था। अब वे इस राज में वापस आने की उम्मीद लगाए हुए है, क्योंकि उनको लगता है कि ये राज उनका है।
न आवेदन, न नीति, न नियम:
इस बार के शिक्षक तबादलों के लिए अभी तक विधिवत रूप से कोई भी आवेदन किसी भी स्तर पर नहीं लिए गए है। हालांकि पहले एक बार आवेदन लिए गए, उस समय तबादले नहीं हुए। इस बार न तो तबादला नीति है, न नियम है और न आवेदन है, इनके बिना ही तबादले होंगे।
विधायक से ही करनी होगी गुहार:
माना जा रहा है कि इस बार तबादला चाहने वाले शिक्षक को अपने सत्तारूढ़ दल के विधायक का ही द्वार खटखटाना पड़ेगा। ऐसा कहा जा रहा है, सत्य है या नहीं , ये तो विधायक जाने, मगर हर विधायक से 70 नाम अधिकतम मांगे गए है।
शिक्षा मंत्री की मानें तो.. .
यदि अब तक के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर के बयानों को सच मानें तो शिक्षक तबादले कम होंगे और ज्यादा उठापटक भी नहीं होगी। क्योंकि दिलावर ने साफ कहा है कि तृतीय श्रेणी शिक्षकों के तबादले तो जिले में ही होंगे, जिले से बाहर का नियम ही नहीं है।
इसी तरह द्वीतिय श्रेणी शिक्षक का तबादला संभाग के बाहर नहीं हो सकता, ये भी दिलावर ने कहा है। शिक्षा मंत्री के बयान के अनुसार केवल प्रथम श्रेणी शिक्षक व उससे ऊपर के अधिकारियों के तबादले ही राज्य में कहीं भी हो सकेंगे। यदि शिक्षा मंत्री के बयानों को ही आधार बनाया गया तो उठापटक कम होगी और तबादले भी कम होंगे।
क्या कहते है शिक्षक संगठन:
राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के महेंद्र पांडे का कहना है कि शिक्षक तबादलों के लिए एक स्थायी नीति बनानी चाहिए। जिससे तबादले राहत बनेंगे, प्रताड़ना नहीं। उनका कहना है कि तृतीय श्रेणी शिक्षको को भी अब तबादले का लाभ देना चाहिए।
महेंद्र पांडे, शिक्षक नेता